मेरे दिवा स्वप्न

नैन झरोखें में बसे, मेरे दिवा स्वप्न
कर ले आलिंगन मेरा, फिर मना जश्न
अश्रुधार में भीगते- भागते, मेरे दिवा स्वप्न
प्रेम नगर में ले चल मुझे, फिर मना जश्न
नैन झरोखें में बसे मेरे दिवा स्वप्न

पल-पल रूठते, मेरे दिवा स्वप्न
नैनों से दिल में जा बस, फिर मना जश्न
नैन झरोखें में बसे, मेरे दिवा स्वप्न
स्वप्नदृष्टा बनाते मुझे, मेरे दिवा स्वप्न
प्रेमस्वरूपा बना मुझे, फिर मना जश्न
नैन झरोखें में बसे, मेरे दिवा स्वप्न

- गायत्री 

Comments

Popular posts from this blog

महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में ब्लॉगरों का जमावड़ा

रतलाम में ‘मालवी दिवस’ रो आयोजन