60 के दशक का चॉकलेटी ब्वॉय : जॉय

वो 60 का दशक था, जब मासूम चेहरे पर मंद-मंद मोहक मुस्कुराहट और दिल में प्यार की कशिश लिए फिल्मों के रूपहले पर्दे एक चॉकलेटी ब्वॉय की धीमी दस्तक हुई। उनके चेहरे की मासूमियत, गोरे चिकटे चेहरे पर हिरण सी बड़ी-बड़ी आँखे, लाजवाब केश सज्जा और कातिल मुस्कुराहट ने जैसे दर्शकों को उनके आकर्षण जाल में मजबूती से बाँध दिया। जॉय को देख बस घंटों तक उन्हें निहारने को ही मन करता था। उनकी प्रशंसक लड़कियाँ तो टेलविजन पर अपने इस हीरों को अपलक निहारती ही रहती थी। वाकई में एक अजीब सा जादू था मासूमियत से भरपूर उस चेहरे में, जिसे देख लड़कियों का मोहित होना लाजिमी ही था। जॉय की बेहतरीन अदाकारी के कारण उनकी फिल्मों से ..., तो कई बार जॉय की खूबसूरती के कारण उनसे और परोक्ष रूप से उनकी फिल्मों से दर्शकों को प्यार होने लगा। साधना, वहिदा रहमान, वैजंती माला जैसी मशहूर कमसीन अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों प्रेम के गीत गाने वाले इस रोमांटिक हीरों के खाते में लव इन टोकियों, शार्गिद, जिद्दी, फिर वहीं दिल लाया हूँ, आओ प्यार करें, ईशारा और एक मुसाफिर एक हसीना जैसी कई फिल्में थी।
   

बॉलीवुड का छैला कहलाने वाले जॉय मुखर्जी का हॉलीवुड हीरों सी हेयर स्टाइल और तीखे-तीखे नैन नक्श जैसे आज तक दर्शकों की नजरों में स्थायी रूप से रच-बस से गए है। यहीं वजह है कि आज भी जॉय का जिक्र आते ही उनकी मासूमियत से भरपूर तस्वीर हमारी आँखों के सामने आ जाती है और हमारे होठों पर मुस्कुराहट। 24 फरवरी 1939 को सती देवी की गोद में अपनी खिलखिलाहट बिखेरने वाले जॉय ने अपनी उसी मोहक मुस्कुराहट के साथ 9 मार्च 2012 को इस दुनिया को सदा के लिए सायोनारा कह दिया।
   

जॉय के फिल्मी सफर में उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि की भूमिका महत्वपूर्ण थी। जॉय के पिता शशाधर मुखर्जी एक सफल प्रोड्यूसर व फिल्मालय स्टूडियों के संस्थापक थे। फिल्म ‘लव इन शिमला’ में जॉय को पहली बार उनके पिता ने ही बतौर अभिनेता लॉंच किया था। इस फिल्म में जॉय का साथ निभाया अभिनेत्री साधना ने, जिनकी इंट्री इस फिल्म में एक नई अभिनेत्री के तौर पर हुई। संभवत: यह फिल्म अभिनेत्री के तौर पर साधना की भी पहली फिल्म थी। इस फिल्म के बाद जॉय और आशा की रोमांटिक जोड़ी को फिल्म ‘लव इन टोकियो’, ‘जिद्दी’ और ‘फिर वहीं दिल लाया हूँ’ में दर्शकों ने खूब सराहा। बतौर अभिनेता जॉय की फिल्मों में ‘फिर वहीं दिल लाया हूँ’, ‘जिद्दी’, ‘एक मुसाफिर एक हसीना’ और ‘शार्गिद’ फिल्म का संगीत उस दौर का सुपर-डुपर हिट संगीत था।
   

जॉय पर फिल्माई गई फिल्मों के गीत आज भी हमें हमें 60 के दौर की फिल्मों के कलरफुल प्राकृतिक दृश्यों व मधुर संगीत की याद दिलाते हैं। गुलाब से हिरोइन के गुलाबी गालों को सहलाना, पैदल चलते-चलते संग जीने-मरने की कसमें खाना, स्लो बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ गुनगुनाएँ जाने वाले प्यार के तरानें, हिरोईन की कमर और हीरों के कंधे पर हाथ रखकर हौले-हौले किया गया युगल नृत्य, ... वाकई में उस दौर में प्रेम की अभिव्यक्ति के बेहतरीन तरीकों से भरपूर गीतों की बात ही कुछ ओर थी। 60 और 70 का वह दौर बॉलीवुड के लिए सदाबहार फिल्मों व गीतों का दौर था।
   

चॉकलेटी ब्वॉय जॉय का फिल्मी सफर हाँलाकि बहुत लंबा नहीं रहा परंतु बहुत ही कम समय में जॉय की रोमांटिक छवि ने फिल्मी जगत में उन्हें खूब वाहवाही दिलाई। चलते-चलते जॉय पर फिल्माएँ सदाबहार गीतों को याद करने के साथ ह‍ी बॉलीवुड के इस चॉकलेटी ब्वॉय को मेरा प्यार भरा सलाम।

जॉय पर फिल्माएँ गए गीत :

1.       बड़े मियाँ दीवाने, ऐसे ना बनो ...
2.       बहुत शुक्रिया, बड़ी मेहरबानी ....
3.       दुनिया पागल है या फिर मैं दीवाना ...
4.       ले गई दिल गुडिया जापान की ...
5.       फिर वहीं दिल लाया हूँ ...
6.       आप यूँ ही अगर मुझसे मिलते रहे ...
7.       हमें तुम मिल गए हमदम ...
8.       सायोनारा, सायोनारा ...

- गायत्री  

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